आम पैकिंग के लिए लकड़ी पेटी की रहेगी किल्लत


महगाई की रहेगी मार
मलिहाबाद। प्रदेश सरकार की सख्ती से बिना लाइसेंस वाली आरा मशीने बंद हो गई। इससे आम की पेटी तैयार करने का काम भी बंद हो गया जिससे लकडी की पेटी की बाजार में कमी हो गई है। एक बड़े भू भाग में आम पैदा करने वाले बागवानों का आम मंडी तक सुरक्षित कैसे पहुंचेगा इसको लेकर बागवान काफी परेशान हैं। इस के कारण पेटी कारोबरी भी दामों मे बढ़ोत्तरी करने मे लग गए है। जिससे आम कारोबार पर महगाई की मार पड़ना तय समझा जा रहा है।
मलिहाबाद,माल व काकोरी क्षेत्र में हर साल लाखो मीट्रिक टन आम की पैदावार होती हैं जिसे बागवान देश-प्रदेश की अलग-अलग मंडियों में बिकने ले लिए भेजते हैं जबकि एक लाख मीट्रिक टन आम की खपत अकेले मलिहाबाद मंडी में होती हैं। मंडी मे आम बेचने को बागवानों को बड़ी मात्रा में लकड़ी की पेटी की जरूरत होती है।जबकि पेटी अभी तक आसानी से उपलब्ध हो जाती थी मगर अब पेटी का कारोबार पूरी तरह बंद हो गया है। इससे आम की पैकेजिंग का संकट पैदा हो गया है
मलिहाबाद क्षेत्र के बागवान मूलचन्द्र, रामखेलावन, सुनील शर्मा आदि ने बताया कि एक तो इस साल आम की पैदावार कम है दूसरे पेटी की भी किल्लत है। लकड़ी की पेटी मे आम अच्छे दामों में बिकता है और खरीदारों को ले जाने में आसानी भी होती हैं लकड़ी की पेटी मे पैक आम की खूबसूरती ज्यादा दिन तक बरकरार रहती हैं और आम लकड़ी की पेटी मे ज्यादा सुरक्षित रहता है।
आम आढ़ती विमल रावत,फरहान, रामगोपाल यादव ने बताया कि इस बार आम की पैदावार कमजोर है ऐसा लगता है कि पूरा आम अकेले मलिहाबाद की मंडी में ही खप जाएगा बागवानों को भाग दौड़ नही करनी पड़ेगी इस मंडी में तो पेटी की मांग ज्यादा होती है।कच्चा आम कैरेट,गत्ता किसी अन्य माध्यम से मंडी तक पहुंच जायेंगा लेकिन डाल का पका आम लकड़ी की पेटी में ही सुरक्षित रहता है जिसे कही भी आसानी से ले जाया जा सकता है।