जाइ न बरनि मनोहर जोरी, जो उपमा कछु कहौं सो थोरी

नौ दिवसीय राम कथा

मोहनलालगंज। श्री बाला जी सेवा समिति के तत्वाधान में कालेवीर बाबा मन्दिर प्रांगण में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा महोत्सव के सप्तम दिवस की बेला पर आज कथा वाचक श्री मारूति नंदन महाराज ने माता सीता की विदाई, अयोध्या आगमन और  राम वन गमन की कथा का रसपान कराया।

 

कथा वाचक श्री मारूति नंदन महाराज ने श्रीराम कथा प्रसंग के क्रम को आगे बढाते हुये कहा कि विवाह में प्रभु राम और माता सीता की जोड़ी इतनी अधिक सुन्दर लग रही थी जिसका वर्णन कर पाना मुश्किल है। बाबा तुलसी ने इस प्रसंग को यों लिखा है " जाइ न बरनि मनोहर जोरी, जो उपमा कछु कहौं सो थोरी। " राम सीय सुंदर प्रतिछाहीं, जगमगात मनि खंभन माहीं। कथा व्यास ने राम - सीता विवाह के साथ ही   भरत - मांडवी , लक्ष्मण - उर्मिला और शत्रुघन - श्रुतकीरति के विवाह की कथा का मनोहारी वर्णन किया। कथा व्यास श्री मारूति नंदन महाराज ने कहा कि काम, क्रोध और लोभ में से यदि एक ही आ जाये तो जीवन में अशांति आ जाती है और अयोध्या नगरी में तो यह तीनों एक साथ आ गये और इनके आने से राम, सीता तथा लखनलाल तीनों को वन जाना पड़ा। कथा व्यास ने  समझाते हुये कहा कि महाराज दशरथ के मन में काम आया, मंथरा लोभ ग्रसित हुई और रानी केकई को राम को वनवास व भरत को राजगद्दी मांगने के लिये प्रेरित किया और रानी केकई को क्रोध आया तथा वह महाराज दशरथ की बात लाख समझाने के बाद भी समझ नहीं सकी और न केवल राज परिवार बल्कि सम्पूर्ण अयोध्या नगरी 14 वर्ष तक शोक में डूबी रही। 

 

संगीतकार दया शंकर तिवारी ने " छोड़ चले आज हमारे राम अयोध्या छोड़ चले  " गाकर सभी भक्तों को भाव विभोर कर दिया।

 

आज के मुख्य यजमान जी पी मिश्र पूर्व प्रधानाचार्य रहे और कथा व्यवस्थापक कृष्णा नन्द महाराज एवं आयोजक मण्डल के हरि गोविन्द मिश्र, डी एस त्रिवेदी , शिवम पाण्डेय, राज कुमार अवस्थी, , अवधेश मिश्र,  अजय शुक्ल, मुकेश द्विवेदी , अनुपम मिश्रा, मौजूद रहे।